सिंधिया के पार्टी छोड़ने को लेकर शिवसेना ने लगाई कांग्रेस को फटकार

शिवसेना ने अपने अखबार सामना में मध्य प्रदेश के सियासी उथल-पुथल की चर्चा की है। वहीं सामना के संपादकीय में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ जाने को लेकर शिवसेना ने कांग्रेस के ऊपर आरोप लगाए हैं। शिवसेना का कहना है कि कांग्रेस में युवा सोच और विचार के लिए कोई जगह नहीं है। सभी कांग्रेसी नेता अहंकार से भरे हुए हैं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट करने की कोशिश की है कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर जाती है तो इसके पीछे बीजेपी का हाथ ना होकर खुद कांग्रेस का हाथ है। क्योंकि कांग्रेस की गलतियों की वजह से उसके योग्य नेता पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।

बता दें कि सामना में यह बात भी उठाया गया कि चुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किए गए और चुनाव के बाद उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।

पार्टी छोड़ने पर सलमान खुर्शीद की ज्योतिरादित्य को सलाह

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते हुए कहा कि सिंधिया ने समय से पहले ही जल्दबाजी दिखाई है और यह ठीक नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि सत्ता से बहुत लंबे समय से दूर उत्तर प्रदेश की कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर एक नजर सिंधिया को डाल लेनी चाहिए थी।

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सिंधिया को कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है। उत्तर प्रदेश के लिए हम लोग 30 साल से काम कर रहे हैं और हमें पार्टी से अभी तक कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है क्योंकि पार्टी की हालत इस समय उत्तर प्रदेश में ठीक नहीं है और हमारा कर्तव्य ऐसे में पार्टी के लिए कार्य करना भर है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले पर क्यों चुप हैं सचिन पायलट?

राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद करीब माने जाने वाले सचिन पायलट सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि कांग्रेस की तरफ से कहा जा रहा है कि सचिन पायलट मौन रहकर परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं।

बता दें कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच रिश्ते भी मधुर नहीं हैं और दोनों की प्रतिद्वंदिता जनता के बीच अक्सर सामने आती रहती है।

हालांकि मध्यप्रदेश में जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोई भी बड़ा पद नहीं दिया गया था इसके उलट राजस्थान सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद देने के साथ ही हैं पीसीसी चीफ बनाया गया है।

सिंधिया के प्रभाव वाले जिलों के डीएम बदले गए

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन करने के बाद मध्यप्रदेश में ऐसे 5 जिले जहाँ सिंधिया की धमक मानी जाती है के सभी जिलाधिकारी बदल दिए गया है।

बता दें कि बीजेपी ज्वाइन करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पर कड़ी टिप्पणी की थी और कहा था कि सरकार बने हुए 18 महीने हो गए हैं बावजूद इसके किसानों की कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं किया गया है। तो वहीं मध्य प्रदेश में रोजगार के मुद्दे पर सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को निशाने पर लिया।

बीजेपी ज्वाइन करने के बाद बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया का जबरदस्त स्वागत किया था और कहा था कि सिंधिया नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ सबका विकास और सबके विश्वास कल पालन करेंगे।

दिल्ली हिंसा को लेकर संसद में क्या बोले अमित शाह?

लोकसभा में जारी दिल्ली की हिंसा पर चर्चा करते हुए देश के गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा को लेकर अफसोस जताया और कहा कि दंगे में मारे गए सभी लोगों के प्रति बेहद दुखी हैं और इस दंगे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानबूझकर पेश किया गया।

वहीँ अमित शाह के दिल्ली हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस की जमकर तारीफ की और कहा कि दिल्ली पुलिस की बदौलत 25 फरवरी के बाद दिल्ली में एक भी जगह हिंसा नहीं होने पाई है।

वहीं जब लोकसभा में यह सवाल पूछा गया कि गृहमंत्री खुद दंगा प्रभावित क्षेत्र में दौरे पर क्यों नहीं गए तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्हीं के कहने पर एनएसए अजीत डोभाल को भेजा गया था ताकि पुलिस व्यवस्था मजबूत बनी रहे और अगर खुद दौरे पर जाते तो काफी मात्रा में पुलिस उन्हें सुरक्षा देने लग जाती।

बीजेपी ज्वाइन करते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया बने राज्यसभा प्रत्याशी

पिछले 18 साल से कांग्रेस पार्टी के साथ रहे शीर्ष नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने 22 विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। आज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी की सदस्यता लेकर पार्टी ज्वाइन कर ली है।

इसके साथ ही उन्हें बीजेपी की तरफ से मध्य प्रदेश इकाई से राज्यसभा सांसद उम्मीदवार के लिए चुना गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कुछ पिछले कुछ दिनों से परिस्थियाँ सामान्य नहीं थी और इन दोनों के बीच की खींच-तान अक्सर जनता के सामने आती रहती थी।

कांग्रेस का मध्य प्रदेश में सत्ता बचाने का दावा

मध्यप्रदेश में राजनीतिक हलचल बढ़ाते हुए 22 विधायकों के साथ इस्तीफा दे चुके कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अभी भी कांग्रेस दावा कर रही है कि वह फ्लोर टेस्ट के दौरान बहुमत साबित कर देगी।

इतना ही नहीं कांग्रेस की नेता शोभा ओझा का तो यहां तक कहना है कि सभी विधायकों के साथ कांग्रेस संपर्क में है और बजपके भी कुछ विधायक उनके संपर्क में है। शोभा ओझा का कहना है कि बेंगलुरु से विधायकों को लाया जा रहा है और फ्लोर टेस्ट के दौरान सभी मौजूद रहेंगे।

जफर इस्लाम जिसने मध्यप्रदेश में चलाया ‘ऑपरेशन लोटस’

कांग्रेस को राजनीति रूप से बेहद बड़ा झटका लगा है जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 विधायकों के साथ इस्तीफा दे दिए हैं। कहा जा रहा है कि इस स्थिति के पीछे वह मुलाकात है इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे।

वहीं अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस से इस्तीफे के बाद ज्योतिरादित्य को बीजेपी में बड़ा ओहदा मिलेगा। वहीं इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल उस व्यक्ति को लेकर है जिसने मध्यप्रदेश में इतनी बड़ी डील करवाई है।

वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि बीजेपी के प्रवक्ता जफर इस्लाम हैं जिन्होंने यह कारामात कर दिखाया है और ज्योतिरादित्य सिंधिया जो 18 साल से कांग्रेस के हिस्सा थे उन्हें बीजेपी में ले आये हैं।

फिर गायब हुए मध्य प्रदेश के 10 विधायक

एक बार फिर से मध्य प्रदेश की राजनीति में गड़बड़ी नजर आ रही है और इस बार कांग्रेस के 10 विधायक बेंगलुरु चले गए हैं। गायब हुए इन 10 विधायकों के बारे में कहा जा रहा है कि ये मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं।

सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इन विधायकों के साथ मध्य प्रदेश के कुछ मंत्री भी हैं। वहीं इन विधायकों बेंगलुरु से बाहर किसी सुरक्षित रखा गया है और इनके फोन भी बंद कर दिए गए हैं।

वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा है कि बीजेपी से रहा नहीं जा रहा हो और जानबूझकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराना चाहती है।

फायरिंग और धमाके के बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने ली शपथ

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे थे उसी दौरान काबुल में बड़ा धमाका हुआ और फायरिंग की भी आवाज आ रही थी। यह धमाका शपथ ग्रहण समारोह से कुछ ही दूरी पर हुआ लेकिन बावजूद इसके अशरफ गनी नहीं रुके और शपथ ग्रहण समारोह जारी रहा।

बता दें कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी के प्रतिद्वंदी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया हुआ है। वहीं विशेषज्ञ इस राजनीतिक घमासान को तालिबान के साथ शांति वार्ता के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं।

बता दें कि दो सप्ताह पहले ही अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ था।