7 महीने बाद नजरबंदी से रिहा हुए फारुख अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के सभी बड़े नेताओं को उनके आवास में नजरबंद कर दिया गया था।

वहीं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को उनके श्रीनगर के गुपकार रोड स्थित उनके आवास से आज 7 महीने की नजरबंदी के बाद रिहा कर दिया गया है। रिहाई के बाद फारुख अब्दुल्ला अपने परिवार के साथ खड़े नजर आए।

वहीं जब पत्रकारों ने उनसे कुछ बोलने को कहा तो उन्होंने कहा कि मेरे पास शब्द नहीं है अपनी खुशी बयान करने के लिए। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही वह दिल्ली में मौजूद होंगे संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए।

कमलनाथ की सिफारिश पर राज्यपाल ने हटाए सिंधिया समर्थक 6 मंत्री

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की सिफारिश पर फ्लोरटेस्ट से पहले 19 बागी विधायकों को बुलाने के आदेश पर सभी 19 विधायक आज भोपाल वापस आ रहे हैं। वहीं इनकी वापसी से पहले ही कमलनाथ ने राज्यपाल से मिलकर सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों को उनके पद से हटाने की सिफारिश की जिसके बाद राज्यपाल लालजी टंडन ने इन्हे इनके पद से बर्खास्त कर दिया है।

वहीं 19 बागी विधायकों के भोपाल आने से पहले ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के समर्थक भारी संख्या में भोपाल एयरपोर्ट पर मौजूद हैं। वहीं प्रशासन ने इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट के आसपास धारा 144 लगा दिया है।

कहा जा रहा है कि सिंधिया समर्थक सभी विधायक उनके राज्य सभा नॉमिनेशन में भी उपस्थित रहेंगे। जिन मंत्रियों को उनके पद से हटाया गया है उनमें इमरती देवी, तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह सिसोदिया और प्रभु राम चौधरी के नाम शामिल हैं।

मध्य प्रदेश की हलचल बहुत कुछ कहती है!

पिछले दिनों मध्यप्रदेश में जो राजनीतिक उठापटक हुई उसने भारतीय जनता पार्टी की बांछें खिला दी है। प्रदेश नेतृत्व से लेकर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व तक इस खुशी में झूम रहा है। इस ख़ुशी को लेकर वाजिब कारण है क्योंकि तमाम प्रदेशों में यह एक के बाद एक हार से केंद्र को लेकर भी भाजपा नेतृत्व सशंकित नजर आ रहा है। वहीं मध्य प्रदेश जैसे बड़े स्टेट में अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा मजबूत क्षत्रप उसकी पार्टी से आ मिलता है तो यह उसके लिए बड़ी राहत की बात है। यूं तो मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान बेहद लोकप्रिय रहे हैं लेकिन इस तमाम लोकप्रियता के बावजूद 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी।

बेशक यह 19 -20 के ही अंतर से था लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र चंबल, ग्वालियर से लगभग सभी सीटें भाजपा के हाथ से निकल गयीं थी।

विशेषज्ञ बताते हैं कि आज के समय में भी सिंधिया परिवार का क्षेत्र में काफी दबदबा है और यह सब नजर आया जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक इशारे पर 22 से अधिक कांग्रेस विधायकों ने एक झटके में इस्तीफा दे दिया। ना केवल विधायक बल्कि प्रदेश स्तर पर और जिला स्तर पर तमाम कार्यकर्ता नेता पार्टी छोड़ते नजर आए और कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में इस्तीफा की झड़ी लग गई।

प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान तो इतने खुश हैं कि उनको समझ ही नहीं आ रहा है क्या बोलें और क्या ना बोले? भावुक होकर उन्होंने कांग्रेसी दिग्गज कमलनाथ की लंका जलाने की बात तो कही ही लेकिन साथ ही में उन्होंने ज्योतिरादित्य को भी विभीषण बता डाला।

अब यह बात उन्होंने अनजाने में कही है या फिर जानबूझकर यह एक चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन हर एक ट्वीट में हर एक संदेश में वह महाराज के साथ खड़े होने का दावा कर रहे हैं ताकि किसी भी हाल में वह सीएम पद की शपथ लें और पार्टी के भीतर से उनको चुनौती ना मिल सके। वैसे भी उन्हें नरोत्तम मिश्रा और नरेंद्र तोमर के नाम से थोड़ी बहुत ही सही लेकिन सुगबुगाहट जरूर मिल रही है। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व के खुश होने के पीछे की वजह थोड़ी लंबी है। तमाम लोग कह रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी में वह सम्मान नहीं मिलेगा जो उन्हें कांग्रेस में मिलता था।

पहले के भाजपा के संदर्भ में देखें तो यह बात एक तरफ से वाजिब लगती किंतु वर्तमान भाजपा थोड़ी अलग है विचारधारा के स्तर पर

अमित शाह ज्यादा परवाह नहीं करते हैं और हर एक उस व्यक्ति को वह पार्टी में शामिल करने की पुरजोर कोशिश करते हैं जो लोकसभा चुनाव में मददगार हो सके। रोजगार, अर्थव्यवस्था और दूसरे तमाम मोर्चों पर केंद्र से जनता की नाराजगी को भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बखूबी भाप रहा है ऐसी स्थिति में 2024 के लिए तमाम मोहरे तैयार किए जा रहे हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राज्य में भाजपा की सरकार बने इससे ज्यादा केंद्रीय नेतृत्व के लिए इस हेतु महत्वपूर्ण है कि लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से भारी मात्रा में भाजपा को सीटें मिलने में रुकावट ना हो। भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान नेतृत्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया का मामला हो चाहे नीतीश कुमार का उन लोगों को पर्याप्त सम्मान देना जिनके प्रभाव से लोकसभा चुनाव में उसे मदद मिल सकती है। और यही हमें मध्य प्रदेश में देखने को मिला है।

– गणेश यादव, सम्पादक
(लोकतंत्र की बुनियाद, राष्ट्रीय हिंदी पत्रिका)

पूर्व निगम पार्षद और बुराड़ी विधानसभा से सांसद प्रतिनिधि गुलाब सिंह राठौड़ का विजन है ‘स्पष्ट’

पूर्व निगम पार्षद और बुराड़ी विधानसभा से बीजेपी के सांसद प्रतिनिधि गुलाब सिंह राठौड़ से हमारे प्रतिनिधि ने विशेष बातचीत के दौरान जब पूछा गया कि कुछ दिनों पहले संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बुराड़ी में किस विजन के साथ आपने चुनाव की तैयारी की थी? इस प्रश्न के जवाब में गुलाब सिंह राठौर का कहना था कि मुख्य रूप से पार्टी और संगठन जो तय करता है उसी विजन को लेकर क्षेत्र में कार्य किया जाता है लेकिन वह निजी तौर पर भी जनता के हित को ध्यान में रखते हुए बुराड़ी में चुनाव कार्यक्रम का हिस्सा बने हुए थे। गुलाब सिंह राठौर का कहना है कि जनता का मूड होता है और जनता जब कोई मूड बना लेती है तो उसी के हिसाब से प्रतिनिधि का चुनाव करती है और फिर चुनाव के नतीजे बदल जाते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के मुद्दे को भी मजबूती से उठाया और कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में नेशनल पार्टी के कार्यकर्ता को सिंबल नहीं प्राप्त हुआ और इन सभी को वह कहीं ना कहीं हार के लिए भी जिम्मेदार ठहराते हैं। वहीं प्रदेश स्तर नेतृत्व के संदर्भ में सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि प्रदेश स्तर पर बदलाव के बारे में सिर्फ संगठन निर्णय ले सकता है और जहां तक प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी जी की बात है तो वह बहुत बड़े स्टार हैं और जाहिर सी बात है ऐसे में उनके लिए क्षेत्र में समय निकाल पाना बहुत ज्यादा संभव नहीं हो पाता है।

गुलाब सिंह राठौर का कहना है कि मेरे नजरिया से प्रदेश स्तर पर उसी व्यक्ति को चुना जाना चाहिए जो अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे और ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क कर सके तो इसके परिणाम बेहतर आते हैं। प्रदेश नेतृत्व क्षेत्र में समय देता है तो छोटा से छोटा कार्यकर्ता पार्टी से जुड़ा हुआ महसूस करता है जो किसी पार्टी के लिए बेहद जरुरी है। जब हमारे संवाददाता ने गुलाब सिंह राठौर से यह प्रश्न पूछा कि अगर संगठन प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी आपको देता तो आपका नजरिया क्या होगा कार्य करने का?

इस सवाल के जवाब में गुलाब सिंह राठौड़ ने कहा कि मेरा सौभाग्य होगा कि संगठन मुझे इस बड़ी जिम्मेदारी के लिए चुनता है। वहीं विजन की बात है तो मैं 11 अलग-अलग प्रदेशों में प्रवास कर चुका हूँ और उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे का निवासी हूं। दिल्ली की जनता की सेवा दो बार निगम पार्षद बन कर चुका हूँ और अब भारतीय जनता पार्टी से जुड़ कर जनता की बेहतर से बेहतर सेवा करने की कोशिश करूंगा।

जहां तक प्रदेश स्तर के नेतृत्व के विजन की बात है तो मैं अपने अलग-अलग राज्यों में प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं को लोकल लेवल पर जोड़ने की कला जानता हूं और जब आप किसी से लोकल लेवल पर जुड़ते हैं, उनके मन मुताबिक और उनकी सुविधा के अनुसार योजनाएं बनाते हैं तो जाहिर सी बात है कार्यकर्त्ता इससे उत्साहित होता है और पार्टी संगठन को इससे निश्चित तौर पर फायदा पहुंचता है।

वहीं 2022 में होने वाले निगम पार्षद चुनाव में प्रतिनिधि चुनाव को लेकर जब उनके विचार पूछे गए तो श्री राठौर का कहना है कि किसी भी चुनाव में पार्टी संगठन बहुत बड़ा रोल निभाता है। लेकिन जहां तक निगम पार्षद चुनाव की बात है तो लोकल लेवल का चुनाव होता है और ऐसे में लोकल प्रतिनिधि फायदेमंद साबित होता है। क्योंकि पार्षद चुनाव में वही प्रतिनिधि सफलता पा सकता है जो जनता के बीच जाता है, जनता की बात सुनता है और जिसका फेस वैल्यू मायने रखता है। इतना ही उस क्षेत्र में लोग उसे उसके काम और उसके नाम से पहचानते हैं। ऐसे में पार्षद चुनाव में लोकल प्रतिनिधि और जनता को समय देने वाले प्रतिनिधि को मैदान में उतारा जाए तो निसंदेह सफलता पाई जा सकती है।

कोरोना वायरस फैलाने के लिए चीन ने अमेरिका को ठहराया जिम्मेदार

कोरोना वायरस को लेकर जहां पूरा विश्व सशंकित है और आपातकाल की घोषणा हो चुकी है। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने ट्वीट करते हुए कोरोना वायरस को फैलाने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है।

बता दें कि इससे पहले डिजीज कंट्रोल के निदेशक राबर्ट रेडफील्ड ने आरोप लगाया था कि चीन में हमारे कुछ सैनिक इन्फ्लुएंजा की वजह से मारे गए हैं और हो सकता है वो कोरोना वायरस से संक्रमित होंगे।

इतना ही नहीं चीन ने अमेरिका के कोरोना वायरस की तैयारियों पर भी उंगली उठाया है और कहा है कि पूरे विश्व को अमेरिका यह बताएं कि कोरोना को लेकर अमेरिका में किस स्तर की तैयारी की गई है और कितने अस्पतालों में कोरोना को देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए हैं?

दिल्ली हिंसा: अंकित शर्मा के हत्यारे ने कबूला गुनाह

24- 25 फरवरी को दिल्ली में हुई हिंसा में मारे गए IBअधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हसीन कुरैशी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। हसीन कुरैशी ने यह भी बताया कि किस तरीके से लोगों ने अंकित शर्मा का क़त्ल किया।

कुरैशी के अनुसार 20 25 लोग उस इलाके में मौजूद पुलिया के पास से एक व्यक्ति को पीटते हुए घसीट कर नीचे ला रहे थे तो उसने भी कुछ उस व्यक्ति को तीन-चार चाकू मारे और लात घुसे भी मारे। उस व्यक्ति शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी तो उसे नाले में फेंक दिया गया।

अगले दिन उस व्यक्ति की पहचान आईबी ऑफीसर अंकित शर्मा के रूप में हुई जिसके बाद हसीन कुरेशी अंडरग्राउंड हो गया। हालांकि पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक सबूत के आधार पर कुरैशी का लोकेशन ट्रैक कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

दिल्ली को जलाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा- अमित शाह

राज्य सभा में प्रश्नकाल में जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर कई सवालों का जवाब दिया। वही अमित शाह ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुसलमानों के मन में शंका है तो विरोध प्रदर्शन ना करें बल्कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण हो।

उन्होंने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर कहा कि वैज्ञानिक तरीके से इस हिंसा की जांच की जा रही है और इस हिंसा में लिप्त किसी भी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा। गृहमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंसा में शामिल कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी जाति -धर्म से संबंध रखता हो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।

बता दें कि दंगे के बाद दिल्ली में 700 लोगों के ऊपर FIR दर्ज कर की गई है।

भाजपा कार्यालय पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क्या कहा?

कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी ज्वाइन कर ज्योतिरादित्य सिंधिया एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर लंबा शो रोड करते हुए बीजेपी बीजेपी कार्यालय पहुंचे। यहाँ पहुँच कर उन्होंने राजमाता सिंधिया और माधवराव सिंधिया तथा कुशाभाऊ ठाकरे की प्रतिमा पर माला अर्पित की।

वहीं बीजेपी कार्यालय स्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी में शामिल होने का उद्देश्य उनका सिर्फ जनता के दिलों में जगह बनाने का है। सिंधिया ने स्पष्ट किया कि जहां जनता का एक बूंद पसीना गिरेगा वहां सिंधिया 100 बून्द पसीना गिराने के लिए तैयार मिलेगा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किये थे उसे पूरे नहीं किए तो आवाज उठाने पर उनको नजरअंदाज किया गया। जिसके कारण वह पार्टी का त्याग किए हैं। बता दें कि सिंधिया जब कांग्रेस कार्यालय के पास से गुजरे तो उनके खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की।

राजनीतिक भविष्य के लिए विचारधारा से समझौता किए सिंधिया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ जाने को लेकर राहुल गांधी ने मीडिया को कहा कि सिंधिया ने अपनी विचारधारा को अपनी जेब में रखा है जिसका एहसास उन्हें बहुत जल्दी होगा।

वहीं राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया को बेहद करीब से जानते हैं और सिंधिया अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर परेशान थे जिसके कारण उन्होंने आरएसएस की विचारधारा की तरफ जाने का निश्चय किया है।

जिसका एहसास उन्हें जल्दी होगा क्योंकि वहां उन्हें वह सम्मान प्राप्त नहीं होगा जिसकी उन्हें इच्छा है। साथ ही राहुल गाँधी ने देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर कटाक्ष किया कि बीजेपी के कारण देश की अर्थव्यवस्था इतनी ज्यादा बिगड़ चुकी है।

मध्यप्रदेश के 22 बागी विधायकों को नोटिस

मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ 22 अन्य विधायकों के इस्तीफा देने को लेकर राज्यसभा स्पीकर ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने इन सभी को नोटिस भेजकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि इन सभी 22 विधायकों ने किसी के दबाव में इस्तीफा नहीं दिया है बल्कि अपनी इच्छा से पद छोड़ा है।

नोटिस को स्पष्ट करने के लिए शुक्रवार तक का समय मुहैया कराया गया है इसके साथ ही शुक्रवार को यह सभी स्पीकर के सामने उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण देंगे। कहा जा रहा है कि 16 मार्च को बीजेपी की तरफ से सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग की जाएगी।

वहीं कांग्रेस का कहना है कि स्पीकर के सामने उपस्थित होकर के 22 विधायक क्यों नहीं स्पष्टीकरण दे रहे हैं।